चंद्रमा पर चल रहा रोवर खतरे में आया; तुरंत वापस लौटने का आदेश, ISRO ने जानकारी दी
Chandrayaan 3 Rover Moon Walk ISRO Updates
Chandrayaan 3 Rover Moon Walk: मिशन चंद्रयान-3 के रोवर ने चंद्रमा पर घूमना-फिरना शुरू कर रखा है। रोवर इसरो के लिए चंद्रमा की जानकारियां जुटाने का काम कर रहा है। लेकिन इस बीच एक चिंताजनक खबर आई है। दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अभी-अभी बताया है कि चंद्रमा पर चलते वक्त रोवर प्रज्ञान 4 मीटर एक बड़े गड्ढे से बच गया। रोवर को वापिस लौटने का आदेश दिया गया और उसे नए रास्ते पर लाया गया.
इसरो ने चंद्रमा की सतह पर उस गड्ढे और रोवर प्रज्ञान के नए रास्त पर जाने की दो तस्वीरें शेयर की हैं। इसरो ने लिखा- 27 अगस्त, 2023 को रोवर जब अपने स्थान से 3 मीटर आगे चला तो इस बीच उसे 4 मीटर व्यास वाला गड्ढा मिला। जिसके बाद रोवर को पीछे वापस लौटने का आदेश दिया गया। इसरो ने बताया कि, यह अब सुरक्षित रूप से एक नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।
बता दें कि, धरती के 14 दिन चंद्रमा के एक दिन के बराबर हैं। जब धरती पर 14 दिन पूरे होंगे तो चंद्रमा का एक दिन पूरा होगा। ऐसे में इसरो की कोशिश है कि रोवर प्रज्ञान चंद्रमा के सतह पर अधिकतम दूरी को कवर करे। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर पर सभी उपकरण सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं।
23 अगस्त की शाम 6:04 बजे हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग
बता दें कि, 23 अगस्त की शाम 6:04 बजे चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की। साउथ पोल चांद का हाई रिस्क जोन माना जाता है। यही वजह है कि, अब तक जितने भी देशों ने चांद पर अपने यान भेजे हैं। उनमें से किसी ने भी चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग नहीं की है। भारत ऐसा पहला देश बन गया है जिसने चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की है। जबकि चांद पर सिर्फ सॉफ्ट-लैंडिंग के मामले में अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चौथा देश बन गया है। भारत से पहले इन तीन देशों ने ही अपने यान चांद पर सफलतापूर्वक उतारे हैं।
14 जुलाई को लॉन्च हुआ था मिशन चंद्रयान-3
मालूम रहे कि, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 की LVM3-M4 रॉकेट के जरिए सफल लॉन्चिंग की थी। वहीं लॉन्च होने के बाद चंद्रयान-3 ने रॉकेट से इजेक्ट होके अंतरिक्ष में धरती की कक्षा में प्रवेश किया और यहां चक्कर लगाने लगा था। इसके बाद हाल ही में 5 अगस्त को चंद्रयान-3 धरती की कक्षा को पार कर गया और चांद की कक्षा में प्रवेश किया था। चंद्रयान-3 ने हाल ही में चांद की बेहद करीब से तस्वीर भी इसरो के पास भेजी थी।
भारत दो बार फेल हुआ, मगर हिम्मत नहीं हारी
बतादें कि, इससे पहले भारत ने चांद पर उतरने की दो बार कोशिश की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पहली बार 22 अक्टूबर 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। जिसके बाद 8 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने चांद की कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश किया और पानी की खोज भी की। लेकिन 28 अगस्त 2009 को अचानक चंद्रयान-1 से इसरो का संपर्क टूट गया।
इसके बाद भारत ने फिर से तैयारी की और 22 जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया। मगर चंद्रयान-2 भी चांद पर सफल लैंडिंग नहीं कर सका। दरअसल, 20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया. मगर बाद में चंद्रयान-2 से संपर्क टूट गया. लेकिन भारत ने फिर भी हार नहीं मानी।
चंद्रयान-3 मिशन में आई इतनी लागत
अगर चंद्रयान-3 को बनाने में आई लागत की बात करें तो जानकारी के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन की पूरी लागत करीब 75 मिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपये में 615 करोड़ रुपए है। कई देशों ने कम लागत पर चंद्रमा पर उतरने की कोशिश की लेकिन हमने ये पहले करके दिखाया है। चंद्रयान-3 मिशन के तीन अहम हिस्से थे। प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर। इसका कुल खर्च 600 करोड़ रुपये ज्यादा आया था । इस मिशन में इसरो के अलग-अलग विभाग के सैकड़ों वैज्ञानिक जुटे थे।